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पश्चिम बंगाल विधानसभा से पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने तृणमूल कांग्रेस के जिला संगठन में बड़ा फेरबदल किया है. उत्तर कोलकाता के सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय को उत्तर कोलकाता जिला तृणमूल कांग्रेस के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है, जबकि बीरभूम के हैवीवेट नेता अनुब्रत मंडल के भी पर कतर दिए गए हैं. अनुब्रत मंडल अब बीरभूम तृणमूल कांग्रेस के जिलाध्यक्ष नहीं रहेंगे. अब बीरभूम में जिलाध्यक्ष पद ही नहीं रहेगा. इसे हटा दिया गया है.

तृणमूल द्वारा शुक्रवार को जारी जिला अध्यक्षों और चेयरपर्सन की सूची जारी की गयी है. पार्टी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि पार्टी की नेता ममता बनर्जी द्वारा गठित कोर कमेटी बीरभूम जिले में पार्टी के संगठन की देखभाल करेगी. हालांकि, अनुब्रत अभी भी नौ सदस्यीय समिति में हैं. हालांकि, जिले में पार्टी अध्यक्ष का पद बरकरार है. रामपुरहाट विधायक आशीष बनर्जी उस पद पर हैं.

सुदीप की उत्तर कोलकाता जिलाध्यक्ष पद से छुट्टी

हालांकि, तृणमूल कांग्रेस के करीबी सूत्रों के अनुसार, उत्तर कोलकाता में बीरभूम मॉडल तैयार किया गया है. वरिष्ठ तृणमूल सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय लोकसभा में टीएमसी के नेता हैं.उन्हें अध्यक्ष पद से हटा दिया गया. उनकी जगह लेने के लिए 9 लोगों की एक समिति गठित की गई है.

उस समिति के सदस्य हैं अतिन घोष, जीबन साहा, सुदीप बनर्जी की पत्नी नैना बनर्जी, परेश पाल, शशि पांजा, सुप्ति पांडे, स्वर्ण कमल साहा, तपन समद्दर और विवेक गुप्ता आदि शामिल हैं. यानी स्थानीय विधायकों और पार्षदों को लेकर एक कोर कमेटी बनाई गई है.

अनुब्रत मंडल का कद हुआ छोटा

एक समय में, बीरभूम अनुब्रत मंडल का गढ़ हुआ करता था. अनुब्रत मंडल का पूरे जिले दबदबा चलता था, लेकिन बाद में भ्रष्टाचार के एक मामले में उनकी गिरफ्तारी और लंबे समय तक जेल में रहने के कारण बीरभूम के संगठन में दरार आ गई.

एक समय तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्वयं घोषणा की थी कि वह स्वयं बीरभूम का दौरा करेंगी. संगठन के लिए एक कोर कमेटी का गठन किया गया. यानी संगठन की जिम्मेदारी समिति की होगी, किसी व्यक्ति विशेष की नहीं. हालांकि, अनुब्रत की वापसी से कोई विशेष परिवर्तन नहीं आया. बीरभूम मॉडल को ध्यान में रखते हुए तृणमूल ने उत्तर कोलकाता में किसी व्यक्ति पर नहीं, बल्कि समिति पर भरोसा जताया.

सूत्रों के मुताबिक तृणमूल 2026 के चुनाव से पहले अपने पार्टी संगठन में बदलाव करना चाहती है. अध्यक्ष और चेयरपर्सन में बदलावों की सूची शुक्रवार को सामने आई. गौरतलब है कि तापस रॉय और सुदीप बनर्जी के बीच बहस इस बात पर शुरू हुई थी कि सुदीप बनर्जी अध्यक्ष क्यों बने रहेंगे? सूत्रों का कहना है कि संगठन के अन्य नेताओं को भी सुदीप के रुख पर आपत्ति थी.

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